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Friday 14 June 2013

अफसोस वौआ

अफसोस वौआ
तू जेठ मे एलही
खेत-पथार खूट्ठी सँ भरल
गरै त' नइ छओ
बस एक मास पहिले
पूरा बाध-बन हरियर सारी पहिरने छलै
आ बादल सँ खेत तक गिरबा मे
चोट नइ लगबा क' गारेंटी रहै
अफसोस वौआ
तू जेठ मे एलही
आ खतरनाक नदी सब
दूब्‍बर पातर देखाइत छओ
नदी मे एतबो पानि नइ
कि नदी तरपन क' सकै अपन पितरक
यैह एक मास बाद वौआ
देखबही ऐ नदी सभक छिनरपन
ई नाला ,ई सोता ,ई नाशी मे
पता नइ कत' सँ आबि छै पानि
आ ई मांगै छै बली
अफसोस वौआ तू जेठ मे एलही
आ नइ पिया सकलियौ
एक लोटा शीतल जल
बस एक पहिने एतें छल
त' ऊंगरी सँ जमीन खूनि
एक हाथ नीचा सँ निकालि देतियौ पानि
नराज नइ हो वौआ
हम अर्जुन नइ
जखन समीकरण अनुकूल रहै छै
त' अपन धरती पर सब अर्जुने अर्जुनअर्जुन

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