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Saturday 18 May 2013

मैथिली क’ सीना पर बड़का टा रद्दा

नजरि उठा के नइ देखै
केओ बात नइ करै
तखन कनफूसकी
बाद मे हल्‍ला भेलै
 कि मैथिली क’ सीना पर बड़का टा रद्दा    गिर पड़लै
ने ओ उठती ने बैसती र
बातचित कोना
मूड़ी तक डोलएबाक गुंजाइश नइ
 एकटा हल्‍ला ई रहै कि ई रद्दा हिंदीक   रद्दा  छैक
किछु लोक एकरा भोजपुरी,नेपाली,अंग्रेजीक सेहो कहथिन
ई कनफूसकी मारिपीट आ घिन घिन घिनाउज मे ब‍दलि गेलै
आ तमाशा राष्‍ट्रीय पर्यटन के रूप ध’ लेलक
गामक गाम ,जेरक जेर आदमी सब आब’ लागल
जत्‍ते लोक ओत्‍ते बात
कखनो कखनो त’ एकेटा लोक हजार रंगक बात करै
गीतकार ,गायक सब एला
आ अपन अपन छंद,लय मे गाबै लगला
नेता सब झूम’ लागला मंच माईक देखि
दलाल सब दोकान बैसाब’ लागल
किछु एहनो एला जनिकर आंखिक रोशनी आ कानक अवाज सही साबूत रहै
आ चश्‍मा रहै त’ सही पावरक
ओ रसे-रसे मैथिली दिस घूमला
आगू डेग बरहेला
ताबते किछु कवि,नेता,दलाल चिकरलक
पकड़ पकड़
मार मार
ई मां मैथिली क’ अपमानित कर’ चाहैत अछि
दलाल सबके रहै डर तमाशा जल्दिए खतम भ’ जेतै
ओ की खाएत कि पहिरत
विवेकी लोक बान्‍हल गेला
आ हुनका राखल गेल परोपट्टा क’ सबसँ उंच स्‍थान पर
आब तमाशा बदलि गेल छलै
आब जिज्ञासा ई रहै कि पतित के कोन सजा देल जाए
ओना पतित बान्‍हलो हाथे अपन डायरी भरैत रहै
ओ देखि लेने रहै मैथिली क’ देह पर विशाल रद्दा के
ओ खींचि नेने रहै रद्दा राखनाहरक फोटो
आंहू जानैत छियै ओ केकर फोटो छियै
अपन देह मे संचित विवेक क’ क्षणांश लेल स्‍मरण करियौ
सप्‍पत खेबा खुएबाक काज नइ
फोटो समक्ष भ’ जाएत ।

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