Followers

Sunday 3 February 2013

यात्री 2

कवि नइ सेनापति
पता कि के घुसि आयल कविताक देश मे
कि के बसि गेल बरहरूपियाक भेस मे
कि के रचि रहल फूल पात कविताक नाम पर
कि के बिक रहल  शास्‍त्र संहिताक नाम पर
कि केओ   जरि रहल केओ रसक संधान  करै
डूबै केओ अनुप्रास यमकक बखान करै
आ सेनापति जानैत छलै
औजार बनेनए औजार सजेनए
औजार देखेनए औजार छिपेनए
औजार चमकेनए औजार टकरेनए
आ सेनापति जानैत छलै
कि लिखी आ कि नइ
कि राखी कि छोड़ी
कत्‍ते लिखी आ कोना लिखी
कि सामंती रासरंग मे डूबल
रजवाड़ा खौंझाइत खौंझाइत मरि जाइ
आ सेनापति ईहो जानैत छलै
जे कत्‍त' लड़ी आ कत्‍त' सँ भागल जाए
आ कत्‍त' धियान देल जाए
आ कत्‍त' नकारल जाए
से ओ साफ करैत गेलै
तरूआरि सँ कविताक जमीन
जत्‍त' हमरा अहां संग नवसिखुआ
लिखि पाबै एकटा नबका कविता

























No comments:

Post a Comment