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Wednesday 5 September 2012

तीन छह छत्‍तीस

साउस कहलखिन कनिया ठीक सँ रहब
कूलरक अवाज मे कनिया किछु नइ सुनलखिन
कनिया वौआ के मारबै नइ
छौंकक दौंक आ खोंखी-छींक मे किछु नइ सुनेलए
दूनू गोटा झगड़ब नइ
कनिया सीरियलक ठहक्‍का मे मगन रहथिन
आ कनियो कहलखिन माए फेर आयब
ई छथिन त' घर घर लागै छैक
आ साउसक कान कमजोर
किछु बुझलखिन किछु नइ
आ जुगजुग जीबू आ माथ लाल आ लहठीक हरदिरंग अमर रहै
मुंह पटपटबैत आंखि मूनने
चढि़ गेलखिन रिक्‍शा पर
रस्‍ता मे दहोबहो नोर चूबैत
केना रहतै नवकनियां
आ दूगो छोटछोट बच्‍चा
केओ नइ देखलकए
ने शहरक लोक
कोनो कौआ कोनो समदिया
ने रिक्‍शे वला
ने कनिया आइ राति सपने देखलखिन

आ कनिया सुस्‍ताइत रहथिन
साउसक विदा भेला पर
कनिया के लागलेन जे एगो रहै हवा
से बिला गेलै
कुनो चुम्‍मक
कुनो रिमोटक हरेबाक
खुशी आ दुख
घरक देबाल पर रहै.........




















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