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Sunday 22 April 2012

गजल


अहाँ के देखब कोना आब हम, अछि हमर भाग जडल
अहाँ सॉ भेटव कोना आब हम, अछि हमर भाग घटल

सँगे चलबै जीवन भरि बचन इ, जे अहाँ तोडि देलिएै
समेटब कहू कोना आब हम, स्वप्न हमर भाफ बनल

अहाँ लेल खेल छल किछु दिन के, की कोनो मजबूरी छल
सूनलौं ने किया किछु हमर,  मोने मे हमर बात रहल

बन्द अछि मुट्ठी मे खुसी  हमर, इ केहन भरम मे छलौं
सुखल बालु  जकाँ जे ससरल, खाली हमर हाथ रहल

फटैत छाती ल देखैत रहलौं, घुरि कs  अहाँ तकलौं कहाँ
देह के राखू   कतेक दिन हम, देखू हमर जान चलल

राति जे छत पर छलौं देर तक, कारी असमान तकैत
जेना बादल हम छलौं  ठहरल,  ओ हमर चान चलल

जागल छी बहुत दिन सॉ आब, सुतितौं हम चिर निद्रा मे
निन्द आबै कहाँ कहियो जेना, आँखि मे हमर काँट गडल

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