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Thursday 15 March 2012

तू धवलकीर्ति

D

तों रहै छें केंद्र मे

आ हम सीमान पर

हम बाध बोन गाछी बिरछी

कखनो लटकल लत्‍ती पत्‍ती

कखनो चरहल मचान पर

भीट्ठा क' ढ़ेपा फोड़ैत

गोबर गोंत बथान पर

तू धवलकीर्ति विज्ञापित जन

मैथिली क' सुरूज चान पर ।

हमरा लेल खेत खून

तोरा लेल महाकाव्‍यक भाषा

हमर अस्‍तव्‍यस्‍तता ,परेशानीक पसेना

आ तोहर क्रीचक निशान भाषा पर

हमर दिन राति जिनगी

तोहर पावनि तिहार महत्‍वाकांक्षा

तोहर मंच माईक मैनीपुलेशन

हमर भाषा क' विजातीय शब्‍द

तोरा लेल दाग विराग

हमरा लेल अनुभवक इंद्रधनुष

छीट कैलिडोस्‍कोप ।

कोन पटरी रस्‍सी लग्‍गा सँ

नापबहक हमर भदेसपन

दिशा ,जाति ,गोत्र ,छंद

रस ,अलंकार ,विधा ,व्‍याकरणक

कोन अष्‍टाध्‍यायी

मुदा हमहूं रहब' संग संग

हम्‍मर बेईज्‍जती क' दर्पण मे

तोहर ईज्‍जतक रंग खूब खुलत' दोस

तोहीं ने छहो खॉंटी मैथिलीपुत्र

हम्‍मर भदेसपन मे

तोरा सोइत साबित करबा लेल

कम शब्‍द क' जरूरी हेतइ

बस हम एही लेल लिखइ छी ।

2 comments:

  1. बहुत नीक वस्तुस्थितिक तुलनात्मक चित्रण।

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