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Sunday 8 January 2012

राजधानी मे गदहा


अमहाभिनिष्‍क्रमण
ई कोनो महान यात्रा नइ रहइ
ने हिज़रत
ने 'लांग मार्च '
दिल्‍लीक उत्‍तरवरिया इलाका मे
ने घरक ने घाटक
एगो बझौआ गदहा
विद्रोह क' देलकै ।
धोबी सँ मुंह
लगा लेलकै
'तू के हमर
ने जनमेले
ने खुएले पोसले
बस पीट्टम पीट्टा केले
कखनो हमर पीठ
कखनो कपड़ा
कखनो धोबिनियाक रीढ़ ।
स्‍पष्‍ट अछि गदहा कोनो उदात्‍त चरित्र नइ
'जाति कुल गुण विचार शील
ने उच्‍च विचार ने महान भाव
तैयो गदहा आधुनिक रहए
जवानो रहए
आ सबसँ जोरगर ई की
दिल्‍ली क' रहए ।
आ नया नया सोचैत रहए
खेनए सूतनए सँ आगूओ ।
एकदमे भोरहरे
लुंगी पेट पर बान्‍हने
मुंह मे बीड़ी राखने
धोबिनिया के सूतले छोडि़
सब किछु सँ अनजान
आबि गेलइ भुस्‍सा नेने
गदहा रहइ तैयार
चला देलकइ दुहत्‍ती
गिरलइ धोबिया पीठे भरे
फेर गदहा के बहिन ,माएक मृदुल अंग पर चोट करैत
तीरैत नोचैत बकुटबा क भंगिमा बनबैत
उठेलकइ एकटा मोटका चेरा
मुदा चलेबा सँ पहिलए
गदहा मूड़ी नेने सटा देलकइ ओकरा डांड़ मे
आ भागल जी जान नेने
एके बेर रूकल
यमुना तट पर
सुस्‍ता के निवृत्‍त भेल राजपवउरपद
फेर सोचलक कत' जाइ
की करी ककरा ले जीवी
कठिन छलए निर्णय
कोहुना धोबिया ओहिठाम रूटीन त' छलइ
ई स्‍वतंत्रता ल' के की करब
ने खाएपीबइ क कोनो जुगाड़
ने पीठक मालिशे
सोचिते सोचिते चलिते रहल
बीतल क्षण घंटा पहर
फरीच भ' गेल रहए
मुदा गदहा दिल्‍लीक दछिनबरिया इलाका मे आबि गेल रहइ ।



2 अधर्मचक्रप्रवर्तन
दिल्‍लीक पॉश इलाका मे
भगलका गदहा ठाढ़ रहए राजपथ पर
अपन क्रोध पर पुनर्विचार करए क मुद्रा मे
ई की भ' गेलए ओकरा सँ
असमंजसक ऐ काल मे देख' लागलइ रस्‍ता दिस
भोरका समय जाइ छलै छौड़ा छौड़ी सभ स्‍कूल
टहलइ छलए सेठ सब अपन धोधि नेने
जपै छलै पंडित भगवानक नाम
आ जोड़ै छलै राशनक गहूम चाउर
नैन मटक्‍का करैत रहए मेम सब
आ ट्रक ड्राइवर करैत रहए अंगैठी
अपन अपन कविता गीत दुहराबैत कविगण
जेना एके रस्‍ता पर चलैत जाइत खच्‍चर सभ
बाउल गिट्टी लादने
साधक जेंका मस्‍तलीनरत
हरिद्वार जाए सँ पहिले
गदहा क आत्‍मज्ञान भेलइ
पीपर वर तर नइ
जरलका दूभिक उपर
आ गदहा सोचलकइ
संसद भवन सँ चारि कोस दूर
'पूरा दुनिये एहने
तखन धोबिये क कोन दोस
सब अपना ढ़ंग सँ पीट्टमेपीट्टा क' रहल
तखन कत' खोजी बोधिसत्‍व'
आ गदहा के लागि गेलइ मुत्‍ती
ओ जत्‍ते मूतए ओतबे ईच्‍छा बढ़ल जाइ
ई छलइ छुलुकमुत्‍ती
आ गदहा कूदि कूदि मूत' लागलइ
मूतइ देखइ भागइ डोलबइ
अभिनयक दिव्‍य अनुपात
ढ़ेकू ढ़ेकू करए
लोक ओकरा देख हँसइ
गदहा लोक सभ के देखि हँसइ


3 अनिर्वाण
गदहा बूझि गेलइ
ई दुनिया एनाही चलइ छइ
जहिना बाजनइ तेहिना नइ बाजनइ
रौद आगि पानि सब सिस्‍टम मे चलि रहल
तूफान कतओ नइ
तूफान सँ आइ तक किछु नइ जनमलै
गदहा के अपने पर अविश्‍वास भेलै
ई की ओकर विचार छैक
मुदा निर्णय लेलक किछु आर
सब जखन एहिना तहिना
तखन सोचनइ बेकार छइ
सॉंझ तक गदहा उत्‍तरवारी दिल्‍ली आबि गेल
किछु बेशी विनम्र बेशी आज्ञाकारी
धोबियो बेशी ध्‍यान दिय' लागलइ
बझौए सही
गदहाक धोबी त' अछि
आ गदहो खूब मेहनत कर' लागल
धोबिनियो ई देखि भेल प्रसन्‍न
अपन मोबाईल सँ धोबी आ गदहाक फोटो खींच लेलक
आ दुनिया ,गदहा आ धोबी फेर तहिना
फेटमफेट भ' गेलइ ।

1 comment:

  1. बड्ड नीक लागल - खास कऽ विषय वस्तुक विविधता आ शब्दक चयन ।

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