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Tuesday, 25 October 2011

दीवाली क पहिले


दीवाली सँ पहिले
 कोदारि सँ खूनैत
 करिया माटि
 पनि द' छछारैत सानैत मिलबैत कुम्‍हार
 चाक पर बैसा के
 गांरि काटैत कुम्‍हार
 कखनो हवा बसात सँ बचबैत
 रौद मे सुखबैत कुम्‍हार
 गोइठा जारन कोयला
 सँ जरबैत कुम्‍हार
 लाल लाल दीप देखि
 मोंछ पिजाबैत कुम्‍हार
(रवि भूषण पाठक)

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