सोम सराधै मंगल मारै बुध छोड़ाबै बपलहरि
बिरस्पति बिकुटि बिकुटि धरै
शुक्कर के काज के कतबो ससारलियै
तैयो शणि सांझ तक सभटा बांकिए रहै
छोड़ू ई कमी-बेशी ,तीन-पांच
बस रविए टा शुभ सुन्नर सांच
(रवि भूषण पाठक)
बिरस्पति बिकुटि बिकुटि धरै
शुक्कर के काज के कतबो ससारलियै
तैयो शणि सांझ तक सभटा बांकिए रहै
छोड़ू ई कमी-बेशी ,तीन-पांच
बस रविए टा शुभ सुन्नर सांच
(रवि भूषण पाठक)
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