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Monday 15 August 2016

ओ कत' गेलखिन ?
सुर आ असुर दूनू के देलासा दए वला
कविता ,कहानी ,आलोचना
ब्‍लॉग ,पत्रिका ,किताबादि सँ सम्‍पुष्‍ट
ओ युवा मनीषि कत' चलि गेलखिन
हुनकर अशुभ वाणी अमंगलकारी छाया
नइ देखाइछ त' मोन किदनदन कर' लागैत अ‍छि
ऊ छथिन चालि चलै लेल
आ हमहूं छी हुनकर चालि बिगाड़बाक लेल
हे ऊप्‍पर सँ हरियर आ अंदर सँ सोंसि-घडि़यार
अहांक फू-फा नइ सुनै छी त' कान नोच्‍च' लागैत अछि
अहांक दुष्‍ट सोच अछि
तखने हमहूं छी
अपने कत्‍त'छी धियान लगेने ?

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