हास्य भेल एक चास आ व्यंग्य भेलै चारि चास ।हास्य भेल एहन खेत जइ मे या त' मकै होए वा गहूम वा धान आ व्यंग्य भेल एहन खेती जेकरा एक लाईन मे मकै आ दोसर मे आलू होए ,राहडि़क खेत मे हरदिक डांट ।हास्य थिकै वाण ,भाला ,कोदारि मुदा एके चीज या त' भाला या कोदारि ,व्यंग्यक भूमिका बहुआयामी ,ई कखनो कोदारि ,कखनो खुरपी ,कखनो हांसू आ कखनो नहकटनी बनि जाइत छैक ।हास्य बहुत ठोस बहुत मूर्त चीज छैक ,जेकरा छुअल जा सकैत छैक ,एकरा खाएल-पीयल जा सकैत छैक ,तें ई खतम भ्' जाइत छैेक ,एकटा अंतरालक बाद एकर अनुपस्थिति लक्षित कएल जा सकैत छैक ,व्यंग्य खतम नइ होइत छैक ,तें ध्वनिकार(आनंदवर्धन) युवतीक सौंदर्यक अवयव आ लावण्य कें अलग-अलग मानैत छथिन ,हुनका हिसाबें दीपशिखा आ ओइ सँ निकलैत प्रकाश राशि एके चीज नइ थिक-
आलोकार्थी यथा दीपशिखायां यत्नवान् जन: ।
तदुपायतया तद्वद् अर्थे वाच्ये तदादृत : ।।
आलोकार्थी यथा दीपशिखायां यत्नवान् जन: ।
तदुपायतया तद्वद् अर्थे वाच्ये तदादृत : ।।
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