हयौ अप्पन मैथिली मे एहिना होइते रहिलै
सार-सारिक कविता पर थोपड़ी बजिते रहिलै
मंदिरक सीरही रहै खूब ऊंच पर
जडि़ मे पन-डोबहा बहिते रहिलै
हां कहला सँ क्षणे सरदारी मिलल
ना-नुकूर पर मौत खन मिलिते रहलै
खूब चिक्कन-चक रहै मुंह रौद के
गाम ओकरा कारिए कहिते रहलै
सार-सारिक कविता पर थोपड़ी बजिते रहिलै
मंदिरक सीरही रहै खूब ऊंच पर
जडि़ मे पन-डोबहा बहिते रहिलै
हां कहला सँ क्षणे सरदारी मिलल
ना-नुकूर पर मौत खन मिलिते रहलै
खूब चिक्कन-चक रहै मुंह रौद के
गाम ओकरा कारिए कहिते रहलै
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