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Friday 30 August 2013

मेहक बरद

खूब मेहनति कर ने वौआ
मुदा मेहक बरद जँका घूमि-घूमि
जिनगी नइ गमा
देखि लेतौ केओ भौतिकी वला
कहतौ केलौं भोर सँ सांझ
मुदा विस्‍थापन शुन्‍य
आ करिहें ओकरा संग फसाद
आ कि तियागबें परिक्रमा पथ
वैह भूस्‍सा ,वैह अनाज ,वैह गोबर
कें लतियाबैत किएक प्रसन्‍न छें
किएक या त' आव या फेर कांव
किछुओ त' नया कह
कनियो त' टटका सुना
हम रोकै नइ छियौ गेबा सँ
मुदा कुनो ढ़ंगक सुना
अइ गरमी मे अछिंजल बहा

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