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Tuesday 25 December 2012

प्रतिपदा आ समकालीनताक समस्‍या

प्रतिपदा सँ जुड़ल सब सदस्‍य आ लेखक ,कवि कें बधाई , आई ई एगारह सौ क' कांटा पार क' लेलक ,निश्चित रूपेण मैथिली साहित्‍य सँ जुड़ल कतेको समूह ऐ सँ बेशी झमोटगर अछि ,मुदा ओकर पात ,डांट फूल ,फल आ छायाक चिंता हमरा करबाक जरूरत नइ ।


प्रतिपदा कोनो विशेष प्रकाशन समूह ,लेखक वृन्‍द आ धाराक अगुआई नइ करैत छैक ,करबाक ज‍रूरियो नइ बूझैत छैक ,ई सभ तरहक लेखक ,विधा आ शिल्‍प में अद्भुत आ अद्वितीयक आह्वान करैत छैक ।मतलब एहन कि देखिते बूझा जाए 'जा एहन त' कहियो देखबे नइ केने छलियइ ' ।मुदा ऐ अद्वितीयता मे तमाम तरहक संतुलन होएबाक चाही ,ई बात कहबाक जरूरी ऐ ठाम नइ । हां लेखन मे सभ तरहक भेडि़याधसानक हम विरोध करैत रहब ।विषयक ,भाषाक ,शैलीक ,विधाक आ आनोआन रूटीन एकदम निकृष्‍ट आ निषिद्ध रहत ।


किछु नया काज सेहो होएबाक चाही ।आ राघवेंद्र कुमार ठाकुर आ बाल मुकुंद पाठक सँ विशेष आग्रह कि ओ विधागत अभिनवता दिशि ध्‍यान दैत किछु नया जोड़बाक प्रयास करता ।आ ई आग्रह सभ गोटे सँ कि हरेक विषय आ विधा मे खूब प‍ढ़ैथ तखने अभिनवता संभव ।


सभसँ जरूरी ई कि प्रतिपदाक गठन जइ उद्देश्‍य लेल भेल ओ एखनो अपेक्षिते अछि ।एहन साहित्‍य जइ मे मैथिल समाजक संपूर्ण चित्र होए, फोटोस्‍टेट आ कार्बनकॉपी नइ ,रचनात्‍मक रेखा आ वृत्‍त जइ मे अपेक्षित प्रत्‍यास्‍थता होए आ ओ तुलनात्‍मक रूपें (आनो भाषा आ साहित्‍य सँ) महत्‍वपूर्ण साबित होए ।मुदा निराश हेबाक जरूरी नइ छैक ,यात्रा त' आबे प्रारंभे भेल अछि..............

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