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Sunday 9 September 2012

मनोज बाबू छौड़ा ताकैत छथिन

रिटायरमेंटक बाद मनोज बाबू एकटा लघु डेयरी खोलि नेने छथिन आ डेयरी की छैक.....वैह बूझू जे छह-सात टा गाए छैक ,बिना बाछा बाछी के ।लागैत छैक मनोज बाबू नौकरी आ जिनगीक सब अनुभव डेयरी मे राखि देथिन ।आ नोकरी मे अनुभव की होइत छैक ,वैह बेइमानी ,लापरवाही ,बकहूत्‍थनि आ दस सँ पॉंच तक कुरसी पर बैसनए ।से मनोज बाबूक कनियां पहिलुके दिन कहि देलखिन ' पलान नीक अछि आ खराब से अहां बूझू ,मुदा छह-सात टा जीव के राखनै सधारण बात नइ' आ मनोज बाबू नोकरी वला लापरवाही के बिसरि गोबर -करसी मे लागि गेला ।प्रारंभ मे त' बड्ड मून लागलेन ,मुदा दस-पंद्रह दिन बाद धीरे -धीरे मोन अलसियाब' लागइ........

आधा दरजन जानवर ,केओ ने केओ गोबर गोंत करबे करए आ मनोज बाबू तुरत उठि खर्रा सँ खड़रनए शुरू क' देथिन ।एहनका रूटीन किछु दिन चललै ,फेर अनठाबै क' क्रम ........कनियां ,बेटा आ बेटी के अरहेनए ,बेटा आ बेटी द्वारा बहाना बनेनए......बेटा-बेटी के मारनै ,मारबा लेल कनियां सँ लड़ाई -झगड़ा ,रूसनए ,घर सँ भागबाक उपक्रम केनए,भागनए आ लौटनए ।एना किछु दिन चललै ।आब नोकर तका रहल छैक ।दूधक ग्राहक ,कुटुम-परिवार ,रस्‍ता बाटे जाए वला लोक सभ ,सभ कें मनोज बाबू कहैत छथिन जे एकटा छौड़ा ताकि दिय' ..........अहूं सब सतर्क रहू ,मनोज बाबू भेटबे करता आ भेटता त' कहता एकटा छौड़ा के विषय मे आ छौड़ा क' रंगबिरही गुण-दोष : कत्‍ते टा ,कोन कोन गाम दिसक ,कोन कोन जातिक ,बेसी नमहर नइ हो ,नेटा पोटा नइ हो ,दरमाहा कम होइ ,काज रेगुलर करै ,स्‍वस्‍थ होए ,जल्‍दी जल्‍दी गाम नइ भागै.....आदि आदि ।

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