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Sunday, 16 September 2012

यदि हम अहांक बातक जबाव नइ दी

जौं कखनो अहांक बात ,फोनक जबाव नइ दी
 अहांक बात पर हुंकारी नइ
तुक मे तुक नइ मिलबी
ठहक्‍का पर सूर नइ मिलबी
तखन हे मातु पिता सखा सहोदर
बूझब जे हम छी कतौ फंसल कंटगर दांतक बीच ।
या बाते नइ अछि अहांक दमदार
ईहो भ' सकैछ जे हमरा हाथ मे हो कागजी नेमो
आ कन्‍हा पर गमछा
आ हम नजरि जमेने होए अधसरक दांत दिस
तें खराब जुनि मानू
हे मित्र सखा दोस गामक शहरक आ इंटरनेटक
एकरो संभावना कम नइ
कि हमरो मोन मे होए कोनो खेल
 आ हमहूं फेकैत होए कतौ पासा
नजरि गड़ेने प्‍यादा आ मंत्री पर
गिद्धी दृष्टि कि केओ गिरै आ हम लपकी
हमरो मोन मे होए किछु आर
आ हम बाजैत होए किछु दोसरे चीज
तें हे मित्र क्षमा चाही
यदि कखनो कखनो
कोनो अनुकूल प्रतिक्रिया नइ आबै
त' ग्रेड दैत बताह पागल बन्‍तू
बढि़ जाएब कतौ आगू.......

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