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Saturday 14 April 2012

बैंकर

जहिया सँ ओ आयल अछि ,बूझू जे एकदम परेशान परेशान भ' गेल छी ।साढ़े पांच बजे बैंक सँ आयत ,बैग पटकत आ बहरका रूम मे टांग पसाडि़ के सूति रहत । फेर हम्‍मर कनियां टुघरैत टुघरैत एती आ ओकरा पानि बिस्‍कुट आ नमकीन देथिन ,चाय पियेथिन ,तखन छौड़ा अंगैठी लैत बाजत 'मौसी बैंक मे काज बहुत छैक ' ।आ हम्‍मर कनियां की बाजती ? रे ससुर थाक‍बीहीं नै ,काज नै करबीहीं त'बैंक मे नोकरी कथी ले करै छहीं आ बैंक झुठौंआ के चालीस हजार रूपया दरमाहा दैत छौक । ई कह ने जे तोरा अखन डेरा नइ छोड़बा के छओ........बूझलियओ जे कम उमेर छओ आ माए-बाप हरदम एकरे रट लगेने छथुन ,मुदा की एकैस बाईस बरीस उमेर नइ होइ छइ .....एखने वियाह भ' जेतओ त' चारि टा जनमा देबही आ एत' बात पिजा रहल छें ।साफ साफ कह ने किराया बचेबा के छओ बैंक सँ चारि हजार ल' रहल छें ,ई भेलौ जे मौसा मौसी के कहियो ओइ मे सँ एक हजार निकालि द' दी .......अरे भाय......रूपया नइ देले त' नइ देलें कहियो तरकारीए ,मिठाईयो त' नइ आनलें आ ऊप्‍पर सँ राजनीति आ साहित्‍य पर बहस ....आब डेरा पर छें त' किछु नइ कहै छियओ ,मुदा करेज मे घूर जरि रहल अछि.......

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