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Monday 26 March 2012

सोयरी मे सपना

ई कोनो अद्भुत सपना नह रहै ।सभ लोक अपन अपन बच्‍चा क' लेल एहिना सपना देखै छैक ,आ ई ओकर पहिलो सपना नइ छलै ।पहिलो नइ ,दोसरो नइ ,तेसर ........ ,मुदा आइ सँ तीस-चालीस साल पहिने तीन टा बच्‍चा बहुत सधारण बात छलै ,से दम्‍पति अपन सपना के देखबा ,सपना के अगोरबा ,पोसबा के सब उपक्रम करैत गेल ।सपना मे पानि देनइ ,सपना के हवा लगेनइ ,सपना मे सँ आकुट बाकुट कें साफ केनए ,सपना के चोर-शैतान सँ बचाबैत ,लोक-वेद के कहैत गुणैत ।सपना के हाथ-पैर ,मुंह-कान सब बनलए ।ऐ मे लगभग नओ महीना लागि गेलइ ।आ ई नओ महीना कोना बीतलइ दम्‍पति के पते नइ चललै ।

एक दिन मिथिला क एकटा गाम मे सपना के धरती पर उतारबाक व्‍यवस्‍था प्रारंभ भेल । तीन -चारि टा जनानी ,एकटा चमैन ,आगि-पानि ,तेल-मौध,साबुन-कपड़ा आ गीत-नाद । जनी-जातिक मजाक स्‍वप्‍नागमन मे निहित वेदना के कम करैत । आ सपना के छोट छोट हाथ छलै ,छोट छोट पएर ....आंखि कान सब छोट छोट ।आब सपना स्‍वयं अपना लेल सपना देख सकैत छलै ................

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