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Tuesday, 27 March 2012

प्रतिज्ञा

प्रतिज्ञा बहुत रासक
सभक अपन अपन रंग
अपन अपन खून
अपन आगि पानि
प्रतिज्ञा केवल उपनेन दिनक कनफूंकाइए नइ
ईसकुल गाम समाज यात्रा क' प्रत्‍येक शिक्षा के निमित्‍त
प्रतिज्ञा केवल पितृऋण मे घोघचल कोना
सभक ऋण नितदिन दोबर तेबर होइत
गाम पोखरि किताब भाषा आ ब्रहमाण्‍ड मे पसरल
कखनो कखनो सप्‍तपदी क' प्रतिज्ञा हावी होइत
सभ ऋण सभ प्रतिज्ञा सभ सपना पर
छेटनगर दिमागक सभ प्रतिज्ञा
सानल माटि नइ मूरती सन
सभ प्रतिज्ञा मांगैत खून पसेना
समय आ निष्‍ठाक एकटा ठोस फांक
आ कखनो कखनो दू व्‍यक्तिक प्रतिज्ञा
दौड़ैत हिंसक मूद्रा मे
कखनो त' एके व्‍यक्ति क' दू प्रतिज्ञा
आमने -सामने
दूनू सँ जुड़ल कतेको दिन-राति
कथा कविता ............

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