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Saturday 1 December 2018

बलहा हाट

बलहा हाट
बलहा शणि हाटक कुनो विकल्‍प इतिहास मे नइ रहै
आ रस्‍तो वैह एक टा आचार्यक बामेबाम सिंगराही पोखरि बाटे
मुदा काबिल आदमी साइकिलक घंटी टूनटूनबैत उत्‍तर आ दक्षिण सँ सेहो
सबसँ शार्टकट रस्‍ताक आदमी आ आडि़ फिक्‍स रहै
फिक्‍स रहै कि लंठ सभक आडि़ बाटे आ नीक लोकक बीचेबीच रस्‍ता छैक
रस्‍ता मे फलां झा चिल्‍लां कमती सभ एकात लेल भागैत रहथिन चारू दिशा मे
ओहिना गुंहकीड़ी सभ जाइत रहै गर्वोन्‍नत माथ केने
अपन अपन हिस्‍साक पृथ्‍वी कें उठेने
आडि़ ओहिना छुवाइ ,जेना ब्रह्माण्‍ड नापल गेलै
पहिले पोखरि एलै ,फेर तड़बिन्‍नी ,तखन लोकपैरिया
दूरे सँ देखा गेलै बलहा हाट
दूरे सँ सुना गेलै ऊ हाटोचित हल्‍ला-हुंकार
ओहिना जक्‍क थक्‍क रहै बलहा हाट
दोकनदार सभ बोरासन धेने अपन अपन डंडी वला तराजूक संग
पूरा दुनिया के बेचै-खरीदै लेल उद्यत
नीक समान आ गारंटीक वैह रंगबिरही अवाज
खरीदार सभ सेहो चौकस
अपन अपन बुद्धि अनुभवक संग
सभ सँ कम दाम मे सभ सँ नीक सौदाक उलटबांसी
ऐ हफ्ताचर्या मे आदमी ,जानवर ,देवता आ भूत सबहक सौदा रहै
ओहिना जाम रहै करियन ,बाघोपुर ,फत्‍तेपुर आ एरौत जाइ वला रस्‍ता
ओहिना नजरि गड़ेने रहै उचक्‍का सभ जाइ-आबै वला पर
ई ने गाहक रहै ने दोकनदार
ने दलाल ने पैरोकार
ओहिना पिहकारी मारैत रहै बीच-बीच मे
टिटकारी तेज होइत जाइ नीक लोक कें देखि देखि के
ई सभ बात होइत रहै दुनियाक सबसँ मीठ भाषा मे
ठहक्‍का संग सबसँ बेधक गारि फेंकल जाइत रहै फलां ठाकुरक भाषा मे
मुंहठूसल पानक प्रभाव सँ चारू खना चित्‍त रहै ई गौरवशाली भाषा
आ बस हाट सँ सौ हाथ पच्छिम खोराघाट रहै
ओत' जरैत रहै एकटा अधफूकल लहास
बगले मे कतौ छलै आचार्यक समाधि सेहो

(रवि भूषण पाठक)
चिक्‍कस मे पानि दए काल मे बुद्धि छन्हि ,जानै छथिन सोहारी लेल कत्‍ते पानि आ पुआ लेल कत्‍ते ,मुदा कविता लिखै काल बहि जाइत छथिन ।मिथिला पर लिख' लागला त' फलां मिथिला ,चिल्‍लां मिथिला ,वैह मिथिला ,जैह मिथिला ,अरे मरदे कनि थमि के ,दम धरू ,जग्‍गह देखि के चिकरियौ ,जग्‍गह देखि के सम्‍हरियौ ,जग्‍गह देखि के पोचकारा दियौ ,आ जग्‍गहे पर टीटकार .........

ईह

ईह ,हिनके केवल छन्‍दक छल्‍ला
यैह अलगाबैथ रीतिक कल्‍ला
तीती थूथू करिते करिते
धैन अनुप्रास मचाबैथ हल्‍ला
ध्‍वनियो कें अलगाबैथ पल्‍ला
की वक्रोक्ति ?
औचित्‍य कथी के ?
हिनके लेल सभ भेल बेलल्‍ला
विदा भेलै अनुपात ए‍त' सँ
कनमा तीमन बेस मसल्‍ला

हे राम अहां केर रामकथा

देशभक्ति गीत
हे राम अहां केर राम कथा ,हे कृष्‍ण अहां केर कृष्‍ण कथा
भारत के नाम बढ़ौने छथि भारत के नाम बढ़ौने छथि
दूनू भारत भूमि मे जन्‍म लेलथि ,भारत के शक्ति बढ़ौने छथि
भारत के शान बनौने छथि भारत के शान बनौने छथि
गंगा-जमुना तट कावेरी ,कृष्‍णा केर पावन तट स्थित
जत' मुनिजन ध्‍यान धरौने छथि भारत के नाम बढ़ौने छथि
उत्‍तर मे वीर हिमालय के ,नदीगण सब पैर पखारै छथि
दक्खिन समुद्र अति महाबली ,दुश्‍मन के देख खेहारै छथि
बस यादि रहै लछमी बाई , गांधी ,नेहरू आ अंबेडकर
बस यादि रहै आजाद ,भगत ,इज्‍जत देशक रहै अक्षत
हे राम अहां केर रामकथा ,हे कृष्‍ण अहां केर कृष्‍णकथा
भारत के नाम बढ़ौने छथि भारत के नाम बढ़ौने छथि
बस हरियर खेतखरिहान रहै आ देशक सबल सीमान रहै
यैह शपथ अपन ,जय जन जीवन ,यैह शपथ अपन ,जय जन जीवन
हे राम अहां केर राम कथा ,हे कृष्‍ण अहां केर कृष्‍ण कथा
भारत के नाम बढ़ौने छथि भारत के नाम बढ़ौने छथि
(रामदाय पाठक

दूध जरेलखिन ऊ

दूध जरेलखिन ऊ
भरि डोल भोरका टटका
दहिना चललखिन ऊ 
ट्रक सटेलकेन हुनका
कंपनी बुरेलखिन ऊ
बौस डांटेलकेन हुनका
आंखि गमेलखिन ऊ
बौह डरेलकेन हुनका
त' कविता लिखथिन ई ?
जे केलखिन बस छोटका-बड़का
सुसाहित बूझथिन ई ?
जिनका मूने मे लटका-झटका
जौं तैयो ने मानथि ई ?
त' लाबू यौ करची के सटका
एगो बाजी राकस संग , जितलियै त रस्ता
हारलियै त भागू , राकसक गाम मे जान बड़ सस्ता
हम्मर तोहर हुनकर सबहक बाप
लेन्ने देन्ने गछने भरने काटरक पाप

हेमचंद्र

अकस्माते-अनचोके नै
बाध-बन पहाड़ नै
कुनो एकात नै 
हेमचंद्र क गाम नै
गुरुकुल क आंगन नै
एकदम राजप्रांगण मे
लेने रहथिन शप्पथ
तीन सहस्र विद्वानक बीच
कि अंतिम श्वास धरि
सेवार्थी रहब देववाणी के
त अचानके ई क़ोन सुर
भ सकै छै मोन बदलेन हुनकर
संभव छै दरबार क दबाव
ताप राजाक महसूस करथि महाकवि
हयौ राजा राजा होइ छै
विष्ठी तक खोलबा लेतेन राजा
हयौ विष्ठिए पहिर त आयल छलखिन हेमचंद्र
अर्जित कीर्ति ऐश्वर्य राजाक प्रसादे ने
आ हेमचंद्र गड़ैत चलि गेलखिन पताल मे
यदि बीख होइतै समक्ष
संग मे कुनो आत्मघाती औजार
यदि ऋण पूरा भ गेल होय
त बजा लैथ देव
समै क पएर मे घिरणी लागल रहै
जल्दी जल्दी उगथिन सूर्य देव
जल्दी जल्दी बदलै पतरा
एकदिन एकटा सूर्य हेमचंद्र क ह्रदयो मे उदित भेल
ई ज्ञानयोग ई भावयोग
भोगल एक एक क्षण
सभ प्रकृति केर दान
ने राजा के देल किछु
ने हमर-अहांक जोगायल
सभ किछु जनपद क आशीर्वाद

घरे-घर

घरे-घर परोपट्टा मे खगता रहै
तें फसिल खेतेखेत सभ अगता रहै
सूक्खले फूटानी तैयो गरदा रहै
पीयर पत्ती संग कथ-चून जरदा रहै
ऊ जुआनी के दिन आ जजिमानी के राति
मुंह मे दाना कि जाबी ई परदा रहै

(रवि भूषण पाठक)

की साइड बदलै छै

की साइड बदलै छै !
वाह !कमाल वौआ
बस तीन मिनट पहिले बीचोबीच रहै
एक मिनट पहिले वाम भेलै
मिनटे पंचर जाम भेलै
दहिने छौड़ा गाम गेलै
मतलब पूरा कलाकारी बीचोबीचक
कत्ते जल्दी गुट बदलै छै !
कोना के गुटपिट ?
गुट तोड़ै छै
छौड़ा अजगुत
कंप्यूटर छै
गुरुओ संग
नोच्चा-नोच्ची
कोना-तीत्ती
सिंघीपताली
खनेखन छौड़ा
गुरु बदलै छै !

सोम मंगल बुध

सोम सराधै मंगल मारै बुध छोड़ाबै बपलहरि
बिरस्पति बिकुटि बिकुटि धरै
शुक्कर के काज के कतबो ससारलियै
तैयो शणि सांझ तक सभटा बांकिए रहै
छोड़ू ई कमी-बेशी ,तीन-पांच
बस रविए टा शुभ सुन्नर सांच

(रवि भूषण पाठक)

सच्चिदानंद झाजी क' कविता

खरगोश
मासाब दस मिनट ,मासाब हमहूँ दस मिनट
दूनू के ऐके बेर फेर दस मिनट,जो पांच मिनट में आ
सी से कैट, कैट माने बिलाई,
डी से डॉग, डॉग माने कुकुर
रै झगड़ा किए करै छै
मासाब ई हमर हवाई जहाज फायर देलक
नै मासाब पहिले ई हमर बोरा घुसका देलक
अच्छा बोरा ल क आगू चैल आ
नै मासाब एतो ठीके छै
गाम समधपुरा जिला दरभंगा राज्य बिहार देश
मासाब दस मिनट मासाब हमहूँ दस मिनट
आब नै भेटतौ ककरो दस मिनट
मासाब जोर से लागल छै दस मिनट
जो पांच मिनट में आ
की भेलौ रे, देह किएक लेटाइल छौ
मासाब ई छौड़ा हमरा मारलक ,
नै मासाब ई छौड़ा पहिले मारलक
मासाब ई हमर लोटा पर ढेला फेक देलक
नै मासाब ई पहिले हमर लोटा गिरा देलक
चुप रह, दुनू छियै एक पर एक शैतान
कान पकरि क ठाढ़ भ जो
बाया की दाया, दुनू कान पकर
सांझ मे घर आबै छिओ तहन पता चलतौ
महात्मा गाँधी के जनम दू अक्टूबर
मासाब दस मिनट , मासाब आब हम एकरा संग नै जाएब दस मिनट
चुपचाप बैस, फूसि बाजै छै दस मिनट
नै मासाब अई बेर ठीके लागल छै दस मिनट
मानवाधिकार के हनन नै करबै
जो पांच मिनट में आ
अहाँ के बेटा पढ़ में लुत्ती अई, बड़का अफसर बनत
चंचल छै, कनि लड़्कोरिआ छै, मुदा डाटबै नै
हमहुँ अहा त एहने रही एहि उमर मे
आ रौ बौआ लग आ, कोरा मे बैस
काइल कतेक बेर जेबही दस मिनट
मासाब एको बेर नई जेबै दस मिनट
सावधान विश्राम, भारत माता की जय
पचका पांच पांच दूने दस
मासाब दस मिनट, मासाब हमहूँ दस मिनट
(सच्चिदानंद झा ) 

हे एत्‍ते प्रेम नै देखाबू

हे एत्ते प्रेम नै देखाबू कि
ढ़ंग सं झगरियो नै पाबी
हमर चालि-सुभाबक एत्ते प्रशंसा कि
कुनो अधजरल घूर के खोरियो नै सकी
हमर गामघरक लेल एहन सम्मान कि
हम बाजि नै सकी कुनो ऊंच-नीच
अहांक टोलक संबंध मे

(रवि भूषण पाठक)

कत्‍ते खुएलखिन दुलहीन

कत्ते खुएलखिन दुलहीन
कत्ते सहेलखिन
से त मनमे जानै...
अपना के बूझि बूझि समझदार
से सपनमो जानै....
कत्ते भेजलखिन मैसेज
कत्ते बरहेलखिन
से सजनमे जानै...
कत्ते कुन फोटो फाटो
केहन नाच गनमा
से परणमे जानै...

कफ

                                                                 विहनि  कथा

घरवला- की हाल छै ?
घरवाली- सब ठीक छै ।
घरवला -कुनो समान सब घटल नइ ने ,सब ठीक-ठाक ?
घरवाली-हँ सब ठीके छै ,चाह खतम भ' गेल रहै ,वैह आनै लेल छौड़ा दोकान गेल छैक । अहांक तबियत केहन ?
घरवला - सब ठीके छै ।आब कफ बाहर आबि रहल छै ।
(रवि भूषण पाठक)