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Saturday 1 December 2018

घरे-घर

घरे-घर परोपट्टा मे खगता रहै
तें फसिल खेतेखेत सभ अगता रहै
सूक्खले फूटानी तैयो गरदा रहै
पीयर पत्ती संग कथ-चून जरदा रहै
ऊ जुआनी के दिन आ जजिमानी के राति
मुंह मे दाना कि जाबी ई परदा रहै

(रवि भूषण पाठक)

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