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Saturday 1 December 2018

हेमचंद्र

अकस्माते-अनचोके नै
बाध-बन पहाड़ नै
कुनो एकात नै 
हेमचंद्र क गाम नै
गुरुकुल क आंगन नै
एकदम राजप्रांगण मे
लेने रहथिन शप्पथ
तीन सहस्र विद्वानक बीच
कि अंतिम श्वास धरि
सेवार्थी रहब देववाणी के
त अचानके ई क़ोन सुर
भ सकै छै मोन बदलेन हुनकर
संभव छै दरबार क दबाव
ताप राजाक महसूस करथि महाकवि
हयौ राजा राजा होइ छै
विष्ठी तक खोलबा लेतेन राजा
हयौ विष्ठिए पहिर त आयल छलखिन हेमचंद्र
अर्जित कीर्ति ऐश्वर्य राजाक प्रसादे ने
आ हेमचंद्र गड़ैत चलि गेलखिन पताल मे
यदि बीख होइतै समक्ष
संग मे कुनो आत्मघाती औजार
यदि ऋण पूरा भ गेल होय
त बजा लैथ देव
समै क पएर मे घिरणी लागल रहै
जल्दी जल्दी उगथिन सूर्य देव
जल्दी जल्दी बदलै पतरा
एकदिन एकटा सूर्य हेमचंद्र क ह्रदयो मे उदित भेल
ई ज्ञानयोग ई भावयोग
भोगल एक एक क्षण
सभ प्रकृति केर दान
ने राजा के देल किछु
ने हमर-अहांक जोगायल
सभ किछु जनपद क आशीर्वाद

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