Followers

Tuesday 29 May 2018

हमरो आभा एहि मे


नव गगन मे चमकैत नव नव सूर्यदेव
ई द्युतिमान विशाल भूखंड
हमरो आभा एहि मे

सुंदर गमकैत सुशोभित
बहुरंगी 
ई जे एत्‍ते खिलल फूल
काल्हि हमरे प्राण नहेने छलै
काल्हि हमरे स्‍वप्‍न लगेने छलै गुदगुद्दी


पाकल सोनपंखी फसिल
अइ बेर भरल खरिहान मे
जइ मे मुसकियाइत हमर नस-नस केर खून


नव गगन मे चमकैत नव नव सूर्यदेव
ई द्युतिमान विशाल भूखंड
हमरो आभा एहि मे


नागार्जुन (यात्री जी)
अनुवाद-रवि भूषण पाठक