नव गगन मे चमकैत नव नव सूर्यदेव
ई द्युतिमान विशाल भूखंड
हमरो आभा एहि मे
सुंदर गमकैत सुशोभित
बहुरंगी
ई जे एत्ते खिलल फूल
काल्हि हमरे प्राण नहेने छलै
काल्हि हमरे स्वप्न लगेने छलै गुदगुद्दी
पाकल सोनपंखी फसिल
अइ बेर भरल खरिहान मे
जइ मे मुसकियाइत हमर नस-नस केर खून
नव गगन मे चमकैत नव नव सूर्यदेव
ई द्युतिमान विशाल भूखंड
हमरो आभा एहि मे
नागार्जुन
(यात्री जी)
अनुवाद-रवि भूषण पाठक