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Saturday 1 December 2018

हे एत्‍ते प्रेम नै देखाबू

हे एत्ते प्रेम नै देखाबू कि
ढ़ंग सं झगरियो नै पाबी
हमर चालि-सुभाबक एत्ते प्रशंसा कि
कुनो अधजरल घूर के खोरियो नै सकी
हमर गामघरक लेल एहन सम्मान कि
हम बाजि नै सकी कुनो ऊंच-नीच
अहांक टोलक संबंध मे

(रवि भूषण पाठक)

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