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Saturday 1 December 2018

सच्चिदानंद झाजी क' कविता

खरगोश
मासाब दस मिनट ,मासाब हमहूँ दस मिनट
दूनू के ऐके बेर फेर दस मिनट,जो पांच मिनट में आ
सी से कैट, कैट माने बिलाई,
डी से डॉग, डॉग माने कुकुर
रै झगड़ा किए करै छै
मासाब ई हमर हवाई जहाज फायर देलक
नै मासाब पहिले ई हमर बोरा घुसका देलक
अच्छा बोरा ल क आगू चैल आ
नै मासाब एतो ठीके छै
गाम समधपुरा जिला दरभंगा राज्य बिहार देश
मासाब दस मिनट मासाब हमहूँ दस मिनट
आब नै भेटतौ ककरो दस मिनट
मासाब जोर से लागल छै दस मिनट
जो पांच मिनट में आ
की भेलौ रे, देह किएक लेटाइल छौ
मासाब ई छौड़ा हमरा मारलक ,
नै मासाब ई छौड़ा पहिले मारलक
मासाब ई हमर लोटा पर ढेला फेक देलक
नै मासाब ई पहिले हमर लोटा गिरा देलक
चुप रह, दुनू छियै एक पर एक शैतान
कान पकरि क ठाढ़ भ जो
बाया की दाया, दुनू कान पकर
सांझ मे घर आबै छिओ तहन पता चलतौ
महात्मा गाँधी के जनम दू अक्टूबर
मासाब दस मिनट , मासाब आब हम एकरा संग नै जाएब दस मिनट
चुपचाप बैस, फूसि बाजै छै दस मिनट
नै मासाब अई बेर ठीके लागल छै दस मिनट
मानवाधिकार के हनन नै करबै
जो पांच मिनट में आ
अहाँ के बेटा पढ़ में लुत्ती अई, बड़का अफसर बनत
चंचल छै, कनि लड़्कोरिआ छै, मुदा डाटबै नै
हमहुँ अहा त एहने रही एहि उमर मे
आ रौ बौआ लग आ, कोरा मे बैस
काइल कतेक बेर जेबही दस मिनट
मासाब एको बेर नई जेबै दस मिनट
सावधान विश्राम, भारत माता की जय
पचका पांच पांच दूने दस
मासाब दस मिनट, मासाब हमहूँ दस मिनट
(सच्चिदानंद झा ) 

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