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Saturday 8 February 2014

भुटकुन बाबूक प्रिसक्रिप्‍शन


भुटकुन बाबू काल्हिए कहने छलखिन आ कहथिन कि बाजिते-बाजिते भुभुआ गेलखिन - ' हमरा त' एलोपैथ सँ बेशी फैदा होमियोपैथ सँ भेल ।'
आत्‍मस्‍वीकृति ,आत्‍मालोचना आ ज्ञानप्राप्तिक संक्षिप्‍त कथाक अंत सामान्‍य नइ रहै ,एकर अंत मे ई निष्‍कर्ष आ शिक्षा सेहो छलै कि जिनका बच्‍चा बहुत दिनक श्रमक बादो नइ भ' रहल छैन हुनका जल्‍दी सँ जल्‍दी नीक डाक्‍टर सँ देखेबाक चाही ।
आ हम ई ज्ञानक ह्रदयंगम करिते ऐ जंजाल मे फंसलौ कि जल्‍दी सँ जल्‍दी एकटा बगल वाली सारि आ सरहोजि कें डाक्‍टरक नाम आ पता पहुंचा दी ,फेर ई संकोच कपार पर बैसि गेल कि हमरा सँ के पूछलक कि हम बताबियै ओकरा ।फेर ईहो धियान मे आयल कि कहीं एहन कुनो बीमारी होइ जेकर ईलाजे नइ होए तखन फेर कत्‍ते लाज वला बात हेतै या फेर एहन कुनो बात जेकरा बताबै मे हुनका संकोच होए ।ई सोचिते-सोचिते सासुर सँ विदा भ' गेलियइ ,काल्हिए गाम सँ निकलबो के छलै ने ।
बड़का बेग के सम्‍हारैत आ झोरा के लादने स्‍टेशन पहुंचलियै आ ट्रेन सभक प्रतीक्षा शुरू भ' गेलै ।कुहेसक मारि ट्रेनो सब पर रहै आ सब ट्रेन लेटे रहै । बेंच पर बैसल-बैसल बैग आ झोरा के ओगरैत-ओगरैत दू घंटा बीति गेलै ,कखनो माए आ सासुक देल समान पर धियान जाए ,कखनो भुटकुन बाबूक प्रिसक्रिप्‍शन आ कखनो सरहोजि आ सारि कें देमए वला प्रवचन पर धियान जाए ।एही बीच एकटा डेंट-पेंट छौड़ा आबि कें बगल मे बैसि गेलै ,एकदम जींस-पेंट टाईट केने,मोंछ छिलेने मोबाईल ल' के खटर-पटर करैत ,कखनो हमरा दिस देखै आ कखनो मोबाईल दिस धियान देने ।लागलै कि छौड़ा शंकरबा छैक ,वैह शंकरबा जे कर्नाटक मे इंजीनियरिंग मे एडमिशन नेने रहै आ बिन बच्‍चा वला सारि ओकर बहिन ।ट्रेन आबै सँ पहिले कतेको बेर मून सुरफूरेलै कि पूछियै कि कहीं अहां शंकर त' नइ छी ,मुदा साहस नइ भेल ।ई डर भेल जे कहीं छौड़ा शंकरबा नइ होए आ सरबा कहीं होए आ गरिया देलक तखन ,तें चुप्‍पे चुप ट्रेन मे बैसि गेलौं ।जो रे सार शंकरबा ,जाने तू ,जानौ तोहर बहिन आ जानौ तोहर बहिनोइ ,यदि ओ जानै लायक होए तखन..............

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