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Tuesday 31 December 2013

mrns

'जय मिथिला '                  "क्रान्ति "                'जय मैथिली '
                                   
                      " जागू मैथिल नै त पहिचान मिट जाएत "                          
                            "  मिथिला राज्य आंदोलन"

अभावक रंगबिरही शमयेना

अभावक रंगबिरही शमयेना देखियौ टाईट सँ बान्‍हल
चारू दिशाक रासा सभ देखियौ खीचने चलि जाइ
हाय हाय दसो कोनक कील्‍ला जमीन कोरने जाए
तीरपाल अलगे हवा संग झुलल जाए
दुष्‍ट हवा तैयो सूत्‍ता-सूत तीरने जाए
ऐ अभाव मे डूबनै जत्‍ते हल्‍लूक भेनै
ततबे संतोष मने ईनारक बेंग
ई बात करेजा दलने जाए

Friday 27 December 2013

ठण्‍डौआ गरम


अलबत्‍ते नाम रहै दोकानक ,'ठण्‍डौआ गरम' ।लोक सब मिठाय आ सिंघाड़ा आदिक दोकानक नाम सबहक कटिंग,स्‍टायलक प्रति निश्चिंत रहैत छथिन ।ई नबका नाम कनेक हलचल मचबैत लागलै ।तरहक-तरहक विश्‍लेषण शुरू भ' गेलै ,कोन मेंजन आ कोन मसल्‍ला ।किछु आदमी साहसक परिचय दैत दोकानक आगू -पाछू घूमलखिन ।दोकानक बोर्ड पर 108 ,786 ,श्री गणेश,वाहे गुरू किछु नइ लिखल छलै ।ई स्‍टायल बेश निराशोत्‍पादक रहलै ।एक-दू दिनक बाद किछु आर साहसी गोटे दोकान मे पैसलखिन ,मुदा कुनो कोना मे गणेश जीक फोटो वा कुरानक सुलेख मौजूद नइ रहै ।किछु आर साहसी लोकनि अंदर घूसि के गल्‍लाक सर्वेक्षण केलखिन ,मुदा ओहियो पर ने कुनो धर्मक चिह्न ने नेबो मिरचायक निशान ।दुकनदार सँ बात करबाक प्रयास कएल गेलै ,सोचल गेलै कि यदि उर्दू शब्‍दक बाहुल्‍य हेतै तखन मुसलमान मानल जाए आ यदि पंजाबी शब्‍दक तखन सिख ।हाय रे दैवा ,दुकनदरबा त' हमरो सँ बेशी बुधियार आ सब बात मे मुसकियाई केवल ।हमरे सब मे सँ जे सबसँ बेशी काबिल रहथिन से सब कोना के निरीक्षण शुरू क' देलखिन ,एक कोना मे भारत माताक मंदिर मिललै ,आब बात कीलियर भ' गेलै जे ओ हिन्‍दू हेतै ताबते एकटा मस्जिदक फोटो मिलि गेलै ।

Thursday 26 December 2013

हाकिम


ई हाकिम बहुत-किछु ईमानदार रहथिन ,डेली शपथ खाइत छलखिन ,ईमानदारी सँ काज करबाक शपथ ,शीघ्रता सँ फाईल बरहेबाक शपथ ,गरीब सभक काज बेशी ईमानदारी सँ करबाक शपथ ।ऑफिस आबिते ई सब शपथ हवा भ' जाए ,एगो ओकील एमहर फाईल नेने बरहै ,दोसर ओमहर ,तेसर कें हाकिम सँ ई आशा आ चारिमक अलगे निराशा ।बार संघक अध्‍यक्ष आ मंत्री बाट जोहैत कि भीड़-भाड़ किछु हटै त' ओ अपन बात कहथिन ।ऑफिसक गेट पर चपरासी परेशान होइत ठार ।एखने जिला पर जेबाक लेल पेशकार सँ बहस भेल रहै ।अकेले पेशकार की करै ,राति मे तीन बजे विधायक जीक फोन रहै चंदा देबाक आइ अंतिम तारीख रहै ।विधायक जीक बापक नाम सँ स्‍मारक बनैत रहै ।चंदाक लेल जइ क्‍लांइट पर निशाना बनाओल जाइत रहै ओ तीन महीना पहिने ओकील‍ साहेब कें पैसा द' देने रहै आ ओकील साहेबक पैसा खर्च भ' गेल रहै ।ओकील साहेब पहिले त' पैसा देबा मे असमर्थता व्‍यक्‍त केलखिन फेर एकदमे नठि गेलखिन मतलब एना कि नइ देब त' की करबै ।परेशान पेशकारक चेहरा हाकिम कें एक नजरि देखेलेन ।हाकिम सब शपथ कें एके साथ घोंटैत कहलखिन 'ओकील साहेब हटू आइ न्‍यायालय मे काज नइ चलत ,एकटा जरूरी काज सँ जिला पर जेबाक अछि ।' रस्‍ता भरि शपथ सब खेहारने जाइत रहेन हाकिम कें आ हाकिम ड्राईवर कें तेजी सँ गाड़ी चलेबा लेल कहैत गेलखिन ।

Tuesday 24 December 2013

सजमनि

मंगलकी बिया सँ सजमनि जनमै-बरहै- लतरै
छारल पूरा चार मुंह दूसै
दू टा मूड़ी कक्‍का चार ,दू टा भैया चार
बरहै-भागै -हूसै
सबहक धियान बाबू फूल्‍ली पर बाती पर
जे नइ पाबै रूसै
मांगै आ बदलौन करै
चोरबै ,नुकबै ,टूसै

Monday 23 December 2013

अहांक ध्‍वनि

ओ सोचथिन जे
वौआ के जत्‍ते धमधमेबै
वौआ ओतबे विनम्र हेतै
आ वौआ एहने संकेत पाबि
जोर-जोर सँ परहै
चाहे गणित ,विज्ञान वा इतिहास
आ अंक मे ,प्रकाश मे आ अतीत मे
बिलाइत रहै वौआक अवाज
आ कालक्रम मे वौआ एते विनम्र भेलै
कि झुकि गेलै ओकर डांड़
आ केओ कहै कि कुबरा कत' गेल
आ केओ खोजै धनुषटंकारक दवाइ
आ कनियां कहथिन कि
जेहने सीदहा तेहने गदहा

 आब कनियां के जबाव देबा लेल
'ओ' नइ छथिन
आ इतिहास विज्ञानक अभिभाषण
घूरि-घूरि के आबि रहल छैक
जेना ईनार सँ आपस
अहांक ध्‍वनि

Sunday 22 December 2013

मैथिली-हिंदी ,नवाचार-पुरस्‍कार

1 मैथिली साहित्‍य मे गुणवत्‍ताक ,नवीन भूमिक ,ऊर्जा आ नवोन्‍मेषक चर्चा करियौ ,ओ सुनिते कहता- ' ई हिंदी वला नकल कैल बात ,चर्चा आ मुहावरा अपने संग राखू ।'
2 अहां मैथिली मे नवाचार ,नवलेखन ,नवीन साहित्‍यक चर्चा करियौ ,संगे-संग ,आधुनिकतावादी प्रवृत्ति आ आधुनिकतावाद पर बल दियौ ,ओ झटकि देता- 'लागै छैक अपने पुरस्‍कार लेल लिखै छी ' ।ई पुरस्‍कार लेल लिखनै की होइ‍त छैक ,लागै छैक मैथिली मे बिन आगि वला रचना लोक कें बेशी सोहाइ छैक ।
3 अहां मैथिली मे नया बथान ,नया चौबटिया ,नया रस्‍ताक चर्चा करियौ ,ओ टोकता - 'हरिमोहन झा ,मणिपद्म एना कहां केलखिन ' ।हुनका लेल महापुरूषक चर्चा केवल अहां के रोकबा मे अछि ।
4 अहां आधनिक साहित्‍यक बात करियौ ,ओ कहता- 'रस अमर होइत छैक' ।संगहि संग आधुनिक साहित्‍य मे कथित अपठनीयता क' लेल अहां आ आहीं सन कें दोषी ठहरेता ।
तखन की रस्‍ता निकलै छैक ?

Thursday 19 December 2013

दीपाली 3

                     दीपालीक एगो मौसी रहथिन ,अपन नइ दियाद-फरीक वला ।जखन दीपाली सात-आठ सालक रहथिन तखने सँ हुनकर दशाधिक चित्र दिमाग मे आबैत रहैन ।सब चित्र मे मौसीक हँसैत-मुसकियाइत ....खूब गोर,नार समतोल बान्‍ह ।मद्धिम अवाज ,धीर-गंभीर चालि ,मुदा हाथ्‍ा मे चु़डी नइ ,माथ मे सिंदुर नइ ,साड़ी मे लहक-चहक नइ ,माथ मे बेशी तेल नइ ,मुंह मे पाउडर-स्‍नो नइ ।ऐ बातक पता बाद मे चललै कि मौसी बाल-विधवा छथिन ।आठम मे वियाह भेल छलै आ एगारहम मे दुरागमन ।दीपालीक बा एक दिन कानैत कहलखिन जे जखन वियाह भेल रहै तखन मौसा एगारह बरखक छलखिन आ मौसा-मौसा मे खूब लड़ाई होए ।लड़ाई होए कखनो कनिया-पूतरा खेल मे त कखनो खाए-पीयै क लेल आ कखनो विद्ध-बाध मे ।


                                    मौसी प्राय: खूब स्‍नेह सँ दीपाली सँ बतियाथिन आ अपन भतीजी कें नेमनचूस-बिस्‍कुट दैत काल दीपालियो के दैत छलखिन ।हुनकर भतीजी वन्‍दना आ दीपाली मे बात-बतौअल आ मुंहफुलौअल होए तखन मौसी बीच-बचाव करैत रहथिन ।ओइ समय मे दीपाली कें पता नइ रहेन कि मौसी बाल-विधवा छथिन ।दुरागमनक छह साल बाद मौसा आबैत रहथिन दरभंगा सँ ।तीला संकरांति सँ दू दिन पहिले या बाद यादि नइ ।कुहेसक दिन रहै ,लाठी भरिक अगिला-पछिला नइ देखाइ ।बागमती पर रोड वला पुल नइ रहै ,तें लोक सब नाव सँ पार होइत रहथिन ,मुदा कखनो-काल लोक रेलवे पुलक उपयोग सेहो करैत रहथिन आ ओइ दिन मौसा सेहो यैह गलती केलखिन ,आ जें कि पुल पर घुसलखिन ,ओमहर सँ रेल अएबाक अवाज सुनेलेन , मौसा जल्‍दी सँ पार करबाक प्रयास केलखिन ,दौड़बा मे दिक भेलेन त
साइकिल कें माथ पर उठा लेलखिन ,मुदा अंत मे साइकिल कें छोड़ पड़लेन ।मौसा साइकिल छोडि़ पुल कें टपबा लेल तेजी सँ भागलखिन ,एक क्षण लेल लागलेन कि पार भ छथिन मुदा...........

Wednesday 18 December 2013

च.च.च.च.च.च.



च.च.च.च.च.च. ,हौ वौआ बन' दहक ओकरा कलक्‍टर ,कानैत-कानैत बूढ़बा कें गाल,मुंह आ नाक एक भ' रहल छैक ।देखहक ने जत्‍ते देवी-देवता ,पीर-मजार छथिन ,ओकरा सब एके साथ यादि आबि रहल छैक ,देखहक ने ओकर विनम्रता ,लागैत छैक धरती मे समा जेतै ।देखहक ने कत्‍ते मिलनसार छैक ,सचिवालय मे सब सँ कते हँसि-हँसि के मिलि रहल छैक ।धियान देबै हे धरती -अकाश ,भूत-प्रेत ,नवग्रह,पंचदेवता ,यथा विधि वा कुनो विधि पार लगाबियौ ।


                               देखहक ने ए0डी0एम0 रहलै ,सी0आर0ओ0 रहलै ,आब डी0एम0 बन' चाहै छैक च.च.च.च.च.च.बन' दहक ,बन' दहक ,ओकरा ।भरि जिनगी त' छोट-मोट घोटाला केलकै ने ,ऐ बेर कनि फांर बान्हि के कर' चाहैत छैक ,कर' दहक ,कर' दहक । बेचारा छायावादी तर्ज पर कहि रहल छैक कि 'जन्‍म अकारथ भेल आ भरि जिनगी छोटे-छोटे शिकार मे लागल रहलौं' ।बेचारा भरि जिनगी हजारे -दस हजार मे बिता देलकै ,बड़ आगू भेलै त' एक लाख-डेढ़ लाख ऐ बेर बेचारा कनेक आध्‍यात्मिक भेल छैक ,ऐ बेर ओकर ध्‍यान एलेक्‍शन पर छैक ने ,ऐ बेर बेचारा करोड़ीमल बन' चाहै छैक ।च.च.च.च.च.च.हनुमान जी ध्‍यान देबै बेचारा पर ऐ बेर कतौ ने कतौ ,छोटो-मोट सही कुनो जिलाक चार्ज जरूर दिया देबै ।बेचारा !

Tuesday 17 December 2013

लोहा

घूर पर बैसल बाबा कहलखिन कि' वौआ नामक लेल ,नाम बरहेबाक लेल आ नाम चलेबाक लेल लोहा हेबाक चाही ।आ ई लोहा बेशी काल पुरूखे मे होइ छैक ,जेना कि देखहक बापक नाम ,संस्‍कार ,जाति आ गोत्र त' बच्‍चा मे आबिते छैक ,खून आ रूप-रंग सेहो आबैत छैक ।'

'आ डी0एन0ए0 सेहो बाबा' एकटा युवक टोकैत कहलकै ।

बाबा हां मे हां मिलबै क' बदला मे बस मुड़ी हिलेलखिन ।आ एक क्षण रूकैत बाज‍लखिन -

'देखहक पुरूष यदि डाक्‍टर होइत छैक त' ओकर कनिया केहनो होए डाक्‍टराइन कहाबै छैक ,तहिना कनिया दरोगाइन ,नेताइन आदि कहाइत छैक ,किएक '

ताबते दोसर युवक कहलकै कि 'बाबा ऐ देश मे एकटा एहनो जनाना भेलै कि जातिए नइ दोसर धर्मक पुरूष सँ वियाह केलकै ,मुदा वंश चलैत छैक जनाना के नाम सँ । नाम ,गोत्र ,उपनाम आ राजनीतिक गद्दी सब जनाना वला '

बाबा अविचलित होइत कहलखिन 'वौआ यदि लोहा ओइ जनाना मे हेतै बेशी तखन जनाना वला लोहा हावी होइत ,दुनिया मे फैल जाइत हेतै ,मूल चीज लोहा छैक ओ चाहे पुरूखक होए वा जनी-जातिक ।'

Saturday 14 December 2013

दीपाली 2

दीपाली पाएर बारने बजार दिस विदा भेली ,मुदा बहुतो लोक बहुत तरहक अनुमान लगेलकै ।किछु स्‍त्रीगण सोचलखिन 'कुनो काज हेतै '। किछु गोटे ईहो कहलखिन 'छौड़ीक देह मे आगि लागल छैक '। दू-चारि टा छौड़ा मूनेमून कहलकै जे यदि कहियो दीपाली मौका पर केकरो संग पकड़ा जेतै रे तखन ओकर काज बनि जेतै छल ।पकड़बाक योजना सेहो बनलै आ मूनेमून विभिन्‍न प्रकार सँ सफलताक आनन्‍द सेहो लेल गेलै ,एतबे नइ किछु गोटे क लेल ई ब्राह्मण जाति पर बड़का आघात छलै ,अपना-अपना हिसाबें एकरा 'कलियुगक अंत' सेहो कहल गेलै ।


                                     आ बजारक लेल दीपाली रसगुल्‍ला रहै ,मालदह आम आ ओकरा ऐ व्‍यंजना पर आनन्‍दक अनुभूति होए ।लटखेना वला ,चूड़ी वला ,पेड़ा वला ,साड़ी वला सब तरहक दुकानदारक लेल दीपाली एहन लभ्‍य वस्‍तु रहै ,जेकर कामना केनए आ ग्रहण केनए संभव रहै ।एहनो नइ जे ओ बजारू समान रहै कि दिय' आ लिय' मुदा एहनो नइ रहै कि ई संबंध कुनो समाजिक आ भावनात्‍मक आधार पर ठार होए ।आइ दीपाली केकरो रहै ,काल्हि केकरो ।आ दीपाली के आब के रोकै वला रहै? बाबू मरिए गेलखिन ,भाए गुजरात मे रहैत छथिन ,बचलै माए त' माए आब केकरो किछु नइ कहैत छथिन ,हां दूनू भौजी सब कहियो-कहियो मारि-पीट जरूर करैत रहै ।एहनो नइ कि भौजीक दिस सँ कुनो अंकुश होए ,मुदा कहियो-कहियो उपराग आ अपमानक डोज सम्‍हारि मे नइ रहै ,बस दूनू भौजी मिलि कें बान्हि कें बेलना ,छोलनी ,लाति,मुक्‍का ,हथपंखा आ रंग-रंगक गारि ।दुनियाक सब बेलनाकार चीज कें गुप्‍तांग मे घुसेबाक चेतावनी ,बल्कि कखनो-कखनो घुसएबाक प्रयासो ,मुदा भौजियो जानैत रहथिन आ दीपालियो जानैत रहै जे बस दू-तीन दिन मे सब ठीक भ' जेतै ।


                                आ भौजी नइ जानैत छथिन कि दीपालीक वर सात साल सँ सासुर नइ आबैत छथिन आ भौजी नइ जानैत छथिन कि दीपालीक ई छबीसम थिकै कि दीपालीक सारी-नूआ ,सिन्‍नुर-टिकुली कोना चलैत छैक कि दीपाली आब एकटा सात सालक नेनाक माए छैक ,दूनू माए-बेटाक खरचा-बरचा कोना चलै छैक कि दीपाली कोन फैक्‍ट्री मे काज करैत छैक कि हरदम रंग-रंगक छीट,बनारसी,रूबिया पहिरै छैक दीपाली आ दूनू भौजियो त' हरदम सेटिंग मे सेटिंग लगबैत रहैत छथिन कि एकर रंग हल्‍का अछि आ एकर गहिर आ ऐ पर ई सेट करत आ ऐ पर 'ई'........ तैयो ई दुनिया-समाज रहै ,तैयो लाज-धाज रहै ,देवता-पितर रहथिन आ जाति त' रहबे करै

दीपाली 1

दीपाली सजै-धजै मे बेशी समै नइ लगबै ,किएक त' भौजी बूझि जेथिन ने ।बस मुंह धोनए ,पोछनए ,कनेक टा टिकुली लगेनए ,ने ठोर लाल केनए ने आंखि कारी केनए ,भौजी बूझि जेथिन ने ।मुदा आइयो दीपाली बोरोलिन के नइ बिसरलै ,ठोर ,माथ ,हाथ ,कान सब पर लेप लेलकै ,फेर मिलबै काल मे भौजी यादि आबि गेलखिन ,मुसकियाइत दीपाली विदा भेली बजार दिस ।बजार सँ पहिले बस दू टा गाछी आ बागमती नदी ।आ आब पहिल गाछी पार भ' रहल छैक ,आम ,सीसो ,चह,बबूर ,करौना क' गाछ जेना चमकि उठलै ,फेर ई गाछ सब महक' लागलै ।जत्‍ते महक आम-सीसो मे ततबे दीपाली मे ।की दूनू मे बोरोलीनक महक छैक ? की दूनू मे आमक महक ,की दूनू मे दीपालीक महक ,की कुनो नबका गंध जनमलै हो देबा ?
आ आब त' दूनू गाछी पार भ' गेलै ,आब बागमती आबि गेलखिन ।दीपाली देख' लागलखिन बागमती कें ।के बेशी गोर ? केकरा मे बेशी चमक ,के बेशी देखनुक ? आइ सँ सात साल पहिले दीपाली कें उत्‍तर खोज' नइ पड़तै ,आइ दीपाली कें उत्‍तर मिलै छैक ,दीपाली लिय' नइ चाहैत छैक ।यद्यपि बागमतियो बुढ़ भेलखिन ,ईहो बन्‍हा गेलखिन ,हिनको कछार मे पानि नइ कादो आ बाउले भेटत ,एतौ कमल नइ जलकुंभिएक प्रताप ,तैयो बागमती बागमती छथिन आ दीपाली त' आब दीपाली भ' गेलै ।दीपाली कें साहस नइ छैक कि ओ आब बागमती दिस देखै ।ओ जल्‍दी-जल्‍दी पुल पार कर' चाहै छैक आ बागमती हहाइत छथिन ।नइ-नइ हँसै नइ छथिन दीपाली पर ,ओ अपनो पर नइ आ दीपाली बान्‍ह पर सँ उतरैत बजार मे प्रवेश करैत छैक ।एखनो दीपाली कें बजार पर भरोसा छैक ।दीपाली बूझैत छथिन जे हुनका सब सँ बेशी बूझनहार ,चाहनहार आ हित-चिंतक बजारे मे छैक ।
क्र्मश:

Friday 13 December 2013

पदनचियाडि

एहेन पदनचियाडि आफिसर त अहां अपन पूरा नौकरी मे देखने नइ हेबै ।डी0एम0 ,एस0पी0 के देखिते पानि पीनए शुरू ।एतबे नइ अपनो रेंकक अधिकारी लग तनि के नइ रहब ।मुंहचोर तहिने ।अपन समवर्गीय आफिसर सभक बीच मे बैसए मे लजाइत आ हाथ मिलबैत काल मे पूरा पसीना होइत ,एतबे नइ अ‍‍भिवादन मे सेहो बेशी नरमी आ बेशी आग्रह देखबैत । मुदा ई नइ बूझबै जे देह-दशा मे कुनो कमजोरी होए ,बूझू जे छह फीट सँ बेशी लंबाई आ तेहने देहक बान्‍ह ।मुदा निर्णय लेबा मे मुंहचोरी....


                      आ बात लिय
हिनका सँ तखन बतेनए शुरू करता कि फलां जिला मे डी0एम0 कें डांटि देलियइ आ फलां जिला मे एस0पी0 के थपड़ा देलियइ ,तहिना अपन अधीनस्‍थ सभक विषय मे भौकी कि फलनमा त कानैत-कानैत परेशान ,आ फलनमा के सस्‍पेंड कराए के मानलियै ।एहि झूठ-सांच मे एकदिन हाकिम सँ बेशी बजा गेलै आ अधीनस्‍थ सब लाठी ल के घेरा-घेरी केनए ,आब हाकिम देवाल छरपि के भागनै शुरू केलखिन ,मुदा फेर पकड़ा गेलखिन ,तखन काननै शुरू कि अधीनस्‍थ सब कें त- हम बच्‍चा जँका मानै छियै ,तैयो हमर एत्‍ते बड़का अपमान ।ऐ नोर मे घटनाक गरमी ठंडेनए शुरू भ गेलै आ हाकिम सेहो पलटी खाइत डेरा दि‍स विदा भेला ।

Wednesday 11 December 2013

ओछाइन

छठम वरिस रहै छौड़ा कें ,मुदा एखनो ओछाइन पर मूतिते रहै ।आ माए ओकर ऐ स्थिति सँ बचेबाक लेल मल्‍टी डायमेंशनल प्रयास करैत रहथिन ,सांझे सँ ओहन चीज खेबा लेल देनए कि जे छुलुक मूत्‍ती नइ बरहाबै ।टोपी-सुइटर ,हाथ मे दस्‍ताना ,पएर मे मौजा ,एकदम सैंतल आ सम्‍हारल बच्‍चा जँका ,राति मे सूतए काल मे मूतेनए ,आ रातिओ मे कतेको बेर सूतल सँ उठा कें ,रे वौआ सूऽए सस ऽ ऽ........


                                        आ ओछाइनो पर पहिले पन्‍नी ,फेर सूजनी फेर 
जाजिम तखन वौआ आ फेर वौआ पर शाल ,कम्‍मल आ रजाइ आ फेर राति मे उठि के पेंट चेक केनए कि कहीं मूति तऽ नइ लेलकै ।कहियो-कहियो तऽ छौड़ा पोजीशन मे आबै कि बुझा जाए आ फेर ओ सफलताक राति रहै आ जहिया कहियो छौड़ा मूति दै ,बूझू जे मारि-पीट अलग आ गारा-गंजन अलग आ छौड़ा नीने मे कखनो कानै कखनो बाजै कखनो प्रतिरोध करै ।

                               धीरे-धीरे समै भागलै ,छौड़ो नमहर भेलै ,आबो एते नमहर नइ कि सब राति ओछाइन सुखले रहै ,कहियो-कहियो एखनो ओछाइन भीजै आ सुक्‍खल दुनिया फेर सँ कवितामयी भ
ऽ जाए ।

हाकिम 2

अओ बाबू र्इ हाकिम तऽ विचित्रे बूझू ।एकर कमेबा-खेबाक अलगे पैटर्न ।आफिस करैत रहत ,करैत रहत ,एके बेर कुनो कर्मचारी कें बजाओत आ बस पांच रूपयाक चिनिया बदाम मँगा लेत ।तहिना एक दिन जिद कऽ देलकै कि केओ आदमी पचास रूपया दिय' हमरा दरभंगा जयबाक अछि ,आब लियऽ एते बड़का हाकिम आ पचास रूपया संग मे नइ होए ,मुदा की करबै ,हाकिम छियै ने ,हारि-हिया के दियऽ पड़लै ।


                                                              ऐ हाकिमक एकटा बदमाशी ई कि सौंझका समै मे टहलैत रहत बजार मे , की केओ कर्मचारी भेटि जाए आ फेर ओकरा पॉकेट सँ मार्केटिंग कराबी ,तें या त
ऽ कर्मचारी सब बजार सांझ के टहलनए छोडि़ देलकै या फेर ई पता क' लए कि हाकिम कतऽ छथिन एखन ।एकदिन परमेसर जी पकड़ेला आ जखन तक हुनकर जेबी खाली नइ भेलै हाकिम लग मे बैसेने रहलै । आ जखन हाकिम के बुझा गेलै कि आब परमेसरक बटुआ खाली भऽ गेलै तखन कहनै शुरू केलकै 'हमरा अपन नमहर भाय बूझू परमेसर जी ,यदि कुनो प्रकारक आवश्‍यकता बुजहब तखन निश्चित रूपेण यादि करब आ पैसो-कौड़ीक कुनो जरूरत होए तऽ संकोच नइ करब ।'


                                   धीरे-धीरे ई स्थिति बनलै कि लोक सब हाकिम ओत
ऽ जेनए छोडि़ देलकै आ यदि हाकिम बजेबो करै तऽ सब कुनो ने कुनो बहन्‍ना जरूर बनबै ,एक दिन धनंजय बाबू पकड़ा गेला आ हाकिम लटपटा के किछु कहलखिन धनंजय के गहुम बुझेलए आ जखन एक बोरा गहुम धनंजय भेजि देलखिन तखन हाकिम मुसकियाइत कहलखिन 'हम तऽ रोहू कहलौं आ अहां गहुम बुझि गेलियै ' आब धनंजय बाबू रोहूक व्‍यवस्‍था सेहो केलखिन ।ऐ स्थिति मे नाटकीय मोड़ तखन एलै ,जखन हाकिमक ट्रांसफर दोसर जिला मे भऽ गेलै ,ई समाचार सुनिते लोक सब अपन पैसा लेबाक लेल पहुंच' लागलै ,बात ई रहै कि हाकिम बहुत लोक सब सँ एडवांस मे पैसा लऽ नेने रहथिन आ काजक समै एखन भेले नइ रहै ।आ ककरा सँ कत्‍ते लेल गेल छलै ,ऐ मे कत्‍ते दलाल ,कत्‍ते मुखिया आ कत्‍ते स्‍टाफ सब नेने रहै एकर कुना कागजी हिसाब रहै नइ ।ट्रांसफर होइते तीन-चारि टा कर्मचारी ऑफिस एनए छोडि़ देलकै आ दलाल सब कतओ भागि गेलै ,आब की कएल जाए ,तखन धनंजय बाबू ई निर्णय देलखिन जे हाकिम अहां रातिए मे जिला छोडि़ दियऽ आ हाकिम कें ई निर्णय एते नीक लागलेन कि हाकिम अकेले समान बान्‍हनै शुरू कऽ देलखिन आ धनंजय बाबू ट्रक आनबा लेल विदा भऽ गेलखिन ।

Tuesday 10 December 2013

हाकिम 1

आर जे कहियौ ,हाकिम रहथिन बड्ड 'इजी गोईंग' ।बस महीना मे एके बेर त' मीटिंग होए ,ओहिओ मीटिंग मे हाकिम के जल्‍दी रहेन ,जे 'ई सब कखन किछु दए आ भागै ' आ हाकिम डायरेक्‍ट कहथिन 'अहां सब दियौ आ ट्रेन पकडू '
कखनो कहथिन - 'अहां सब ऐ फेर मे नइ परू कि मीटिंग की आ कोना होइ छइ ,बस डाउन करू आ भागू ।'
कखनो कहथिन -' अहां सब की बूझबै जे मीटिंग की होइ छैक ,बस एक बेर महीना मे एनए आ झेलऽ तऽ हमरा पड़ैत अछि ।'
एक बेर त
ऽ बिगडि़ गेलखिन झा जी पर किएक तऽ मांगलखिन पांच सौ टका आ झाजी एक सौ सँ बेशी देबाक लेल तैयारे नइ ,झाजी ऐ बात पर अड़ल कि 'हाकिम पहिले कहतियइ तखन ने बेशी पैसा राखतियइ छल ।'

                                आब झाजी अपन आदत के अलग व्‍याख्‍या करथिन ,झाजी अपना के विद्रोही रूप मे प्रस्‍तत करथिन जखन कि मनोज कहेन कि जखन एत्‍ते बड़का विद्रोही छी त
ऽ नमरी कथी लेल निकालै छी आ राम गोविन्‍द सेहो कहै कि एखने कुनो टाईट हाकिम आबि जाइ तऽ वौआ दिन मे तीन बेर हगतै आ कनेक 'ईजी गोईंग हाकिम छै तऽ वौआ छिडि़या रहल छथिन ।,तैयो हाकिम जेना पहिने रहथिन तहिना रहलखिन आ झाजी सेहो रेगुलर अपन कंजूसी वृत्ति प विद्रोहक आरोपण करैत ,आ जिला दूनू कें देखैत ओहने रहलै

Monday 9 December 2013

प्रतीक

राजपूतक ईलाका रहै ,मतलब ई जे ईलाकाक सबसॅं प्रमुख ,दबंग आ झौंसगर जाति राजपूतक रहै आ राजपूतक प्रमुख व्‍यवसाय ठीकेदारी रहै ,ठीकेदारीक अलावा दोसर प्रमुख बिजनेस भाड़ा पर गाड़ी चलेनए ,गाड़ी में बस ,ट्रक ,ट्रेक्‍टर ,जीप ,क्रेन सब रहै ।आ ई बिजनेस सब तरहक राजपूत मे लोकप्रिय रहै ।मातवर राजपूत सब क्रेन चलाबथिन आ कमजोर सब ट्रेक्‍टर सँ एक चास ,दू चास........


                                                            आ राजपूतो मे जातिक प्रति लगाव एक रंग नइ ,जे पहिल सीरही पर रहथिन से अपन बसक नाम 'राजा जी' ,'महराजा जी' आ 'रघुकूल बस सर्विस' सन राखथिन ।दोसर सीरही परक लोक सब 'ठाकुर' ,'राजपूत' ,'सूर्यवंशी बस सर्विस' ,'महाराणा प्रताप बस सर्विस' आदि नाम राखथिन ।तेसर सीरही वला लोक सब अपन बस पर 'तलवार', 'टंकार' ,'हुंकार'  केओ-केओ चक्रवात आ तूफान सेहो राखै ,जे बड्ड काबिल बूझै अपना के ओ हिटलर तक आबै ।ओना हिटलर नाम आनो जाति मे ओतबे लोकप्रिय रहै ।तहिना बच्‍चा सभक नाम 'वीर विक्रम' ,'संग्राम' ,'प्रताप' ,'अजीत' आदि राखल जाए ,आ बात एहनो नइ कि ई बात केवल राजपूते सब मे रहै ,सब जातिक अपन-अपन खोंता आ अपन-अपने महफा रहै ,सबकें अपन-अपन घोघ रहै आ सबहक अलग-अलग नाम,प्रतीक ।मुदा नशा-दारू ,पिहकारी-हिहकारी ब्रह्म जँका सर्वत्र विद्यमान रहै.......

Saturday 7 December 2013

इसकुल

ओ बहुत दिन सँ अपन इसकुल कें यादि करैत छैक ,कखनो इसकुलक भीत वला दीवाल ,कखनो पूबरिया नरकैट वला जंगल-झाड़ आ ओकरे मे सटल मूत-जमीन यादि आबै ।मूत जमीन प्राय: विद्यालयक छात्रा सब द्वारा चोरा-नुका के उपयोग कएल जाइत छलै ।विद्यालय कें यादि करिते यादि आबि जाथिन यादव जी मरसैब ,जे कनेक ढ़क रहथिन आ एक दिन केओ टोकि देलकेन कि मरसैब लेट किएक छी त' ओइदिन टेबुल पर स्‍टूल दैत ,स्‍टूल पर ठाढ़ भ' गेलखिन आ चारू कात ताकि -ताकि कें कहथिन -मरसैब लेट हो गया ।

                                               इसकुल कें यादि करिते यादि आबै कुरमीटोली या यादव टोलाक बच्‍चा सब ,जेकरा भगएबाक खूब उपक्रम होए ओइ इसकुल मे आ यादि आबै दू टा भाय-बहिन जे खिसियाबैक चलते जल्दिए छोडि़ देलकै इसकुल ।आ निश्चित रूपेण यादि आबै बोरा सब ।पहिला-दूसरा मे ओ बोरे पर बैसै आ सब विद्यार्थी बोरे पर बैसैत रहै आ धरतिए रहै सिलेट आ समतल जमीनक आगू बोरा रखबा लेल डेली होइत छलै युद्ध ।

                                 इसकुल कें यादि करिते ओकरा यादि आबै रामजी मरसैब , आ मरसैब कें चोरा कें चमरा मरसैब कहल जाइत रहै ,ई मरसैब चमरटोली मे रहैत रहथिन ,कुनो चमारे ओहिठाम ,ओना त' ओ सब के पैर छू कें परनाम करै ,मुदा ओकरा यादि नइ छैक कि कहियो ओ रामजी मरसैब कें पैर छूने होए आ इसकुल कें यादि करिते ओकरा यादि आबै छैक इसकुलक पछियौत मे तजिया बनेबा आ घूमेबाक महीना दिनक उपक्रम आ फेर ओ ईहो यादि करैत छैक जे बाद मे गामक दुसाध सब कहलकै कि ई जमीन हमर आ तजिया ओइ ठाम बननै बंद भ' गेलै ।इसकुलक नाम लैते यादि आबै छैक ओकरा अपन कमजोर चेहरा ,जे साल भरिक गंभीर बीमारीक परिणाम छलै ।दिसंबरक महीना छलै आ वार्षिक परीक्षा मे ओ लिखैत छलै ,जे किछु यादि रहै आ यादि-बियाधिक बीच मे ओकर कलम अलगे दिशा मे भागै ।

Friday 6 December 2013

दोस


दोस छथिन ,बड्ड महीन ।बात-व्‍यवहार ,चालि-चलन ,सब मे महीनी ।बाजता एतबे कि कुनो प्रकारक अंतिम निर्णय अहां नइ ल' सकी ।रोस एतबे देखेता कि अगिला रस्‍ता बनल रहै ।दूर छथिन ,तें फोन पर आत्‍मीयता प्रकट करबा मे कुनो कंजूसी नइ करता ,मुदा फोन सँ आगू कोनो प्रकारक जएबाक लक्षण नइ ।हुनका जरूरी परै त' हमर कर्तव्‍यक इति नइ ,हुनकर सबसँ नजदीकी हमहीं ।पुरनका संबंध क यादि करेनए ,रहीम ,वृन्‍दक दोहा सुनेनए आ भविष्‍यक सपना देखेनए ।आ जखन हमर कोनो काज होए तखन ब्रह्माण्‍डक सबसँ व्‍यस्‍त जीव वैह ,धरती,सूर्य आ नक्षत्रगण जेंना हुनके पिपनी देखि नाचैत हो आ ऐ अनुपलब्‍धता पर एकटा हिटगर शोकगाथा ।आ कसम ऐ दोस्तियारी के कि ई सुनि हमरा आंखि मे नोर नइ आबै्...........

Wednesday 4 December 2013

कुकुरहटि

अधराति क समै ,दू-तीन बाजैत हेतै ।नीन  कुकुर सभक कुकुरहटि सॅु टुटल ।एके साथ एते कुकुरक अवाज ।आवाजो मे भारी वैविध्‍य ।कखनो सम कखनो विषम ताल ।एगो शिशुक अवाज बड्ड धीरे-धीरे सुर निकालैत रहै ,दोसर ततबे जल्‍दी-जल्‍दी ,पता नइ कथीक जल्‍दी रहै ,अहां पूछि सकै छियै जे ओ जे रसे-रसे सुर निकालै छलै ,ओकर सुस्‍तीक कोन कारण ।आब एखन ओकर कारणक खोज केनए ठीक नइ ,हम त' ओइ दिनका बात कहै छी भाय ,हँ ठीके कहलौं दिनका नइ अधरातिक ।


                                         सबसॅं जे भरिगर आवाज रहै जे कुनो मोट-डांट कुकुरक रहै ,तइ मे सुर-तालक नितांत अभाव ।हमरा मने ई ओइ ग्रुपक नेता रहै ,ई रेगुलर बाजैत रहै ,आ एकरा बाजिते सब कुकुर सब मिला-जुला के बाजनै शुरू क' दए ।जेना मोटका कुकुर आवाहन करैत होए ।ई मोटका कुकुर बिना मेहनत के बाजैत रहै ,मुदा एकरा बाजिते ग्रुप मे जेना चेतनाक संचार भ' जाए ,सब एक सुर सँ पाछू चलबाक लेल तैयार ।
किछु एहनो अवाज रहै जे कखनो-कखनो पता चलै ।कुनो निरंतरता नइ ,कुनो समय आ आवृत्तिक धियान नइ ,शायद ई  सौंदर्यधर्मी सब रहै दिन तका क' आबै वला ।मुदा ई सम्‍मेलन कथी लेल रहै ,एखनो पता नइ चलै छैक ।गाम मे रहितौं आ केओ बुरहा सन रहितथि त' निश्चितरूपेण ओकरा टोल सँ बाहर करबाक उपक्रम भेल रहतै ,पता नइ कोन यमक दूत आबि गेल होए ,मुदा ऐ ठाम त' र्इ सोचनएओ अपराध ।

                                       ईहो भ' सकै छै जे कुनो चोर मुहल्‍ला मे घूसि गेल हो ,या फेर जाड़े बढि़ गेल हो ,ई नइ भ' सकै छे जे सब भूक्‍खे-पियासे बेहाल होए या फेर कुनो नवजात के रतिघूमूवा जानवर उठा के ल' गेल होए आ ई सब ताकैत-ताकैत अपसियांत ........

मकान


तीनू भाय अलग-अलग रहि के कमाबैत रहथिन ,गाम कहियो काल आबथिन ।कुनो ठीक-ठाक शहर मे मकान बनाओल जाए ,ऐ पर चर्चा होए ।आ संयोग देखियौ जे ई चर्चा केवल छठि वा होली मे होए ,जखन कि तीनू गोटेक परिवार संग-संग होए ।तीनू भाए एक-दोसरक प्रतीक्षा करैत रहथिन कि के पहिले आगू आयत आ तीनू भायक कनियां ऐ क‍नविंसिंग मे लागल रहथिन कि हमर सही-सही आमदनी पतिदेव प्रकट ने क' दैथ ।मुदा ऐ दिमागी खेल के चलितो ई बात स्‍पष्‍ट रहै कि आगू बरह' पड़तै मझिला के ,किएक त' वैह रहै सब मे सम्‍हरल ,से सबक नजरि ओम्‍हरे रहै ।आइ खरना रहै आ काल्हि सौंझका अर्ग ।जखन माए खरना करैत रहथिन तखन मझिला वौआ हँसिए मे कहि देलकै
'आब हमरा सँ किछु बेशी क आशा नइ राखू अहां सब ,दू टा बहिनक बियाह क' देलौं ,तीन बीगहा जमीन खरीद देलौं ,आब अपनो बाल-बच्‍चा क' धियान राख' पड़तै ने ,चारू बच्‍चा चारि टा शहर मे रहि रहल अछि ने ,सबके भरिते-भरिते परेशान.....'
सौंझका अर्ग दिन टीकरी बनबैत काल मैंझली कनियां सेहो अपन हर पटकैत कहलखिन 'हिनका सबकें जत' फूरायन या जुड़ायन ,ल' लौथ ,आब त' हमर धियान बड़की बेटीक बियाह दिस अछि ।दू साल नइ त' तीन साल मे किछ करैए पड़त ।
भोरका अर्ग दिन जल्दिए सब तैयार भ' गेलै ,मैंझला भायक गाड़ी रहेन सांझ मे चारि बजे ,दरभंगा सँ बीस-बाईस किलोमीटर पहिले बहेड़ी बाजार मे मैंझलीक माय सेहो सनेस नेने तैयार रहथिन आ जाइत काल बेटीक कान मे कहलखिन -
'ओझहा सुधहा छथुन ,आबो सुधरि जो दाय ,बेटी जुआन भ' रहल छौ ,आबो सम्‍हरि जो ......' ।मैंझली मोनेमून कहलखिन सुधहा नइ सुधबलेल आ ईहो मून भेलेन कि माए के करेज मे सटा ली ,मुदा ई नौटंकी करबाक कुनो आवश्‍यकता नइ छलै ,सब गोटे एके मंदिर दिस जाइत छलखिन ।

Sunday 1 December 2013

फाईल आ गरदा

दू हाथ ऊंच रहै फाईलक गड्डी आ फाईल मे विभिन्‍न प्रकारक प्रमाणपत्र ,बहुमूल्‍य कागज सभक फोटोस्‍टेट ,कोनो-कोनो कागजक कार्बन कापी रहै ।ई सब कागज विभिन्‍न जगहक नौकरी क' संदर्भ मे रहै कुनो मे चार्जक स्थिति ,कुनो मे स्‍पष्‍टीकरणक जबाव ,कुनो मे ट्रेजरी चलानक कॉपी ।कुनो-कुनो डाटा पेंसिले सँ लिखल रहै ,ई सब सावधानी रहै कि यदि कुनो समस्‍या आबैत अछि त' ओकर जबाव ओकरा लग रहै ।एक साल ,दू साल ,तीन साल बितैत गेलै ,दस साल ,प्ंद्रह साल तक बीत गेलै ,एखन तक कुनो समस्‍या नइ आएल छलै ,मुदा ओ कागज सब ओहिना के ओहिना सम्‍हारल रहै ।जखन-जखन ओकरा देखबा के मौका मिलै ,ओ देखै आ संतोषक भाव ओकरा मुखमंडल पर आबि जाए  ।कखनो-कखनो ओकरा लागै कि पहिले ओ नीक आ सशक्‍त भाषा मे पत्र लिखैत रहै ,अधीनस्‍थ पर बेशी सक्‍कत भाषा मे पत्र लिखल देखि ओकरा आश्‍चर्य लागै कि पता नइ ओ साहस कत' चलि गेलै ,ऐ बात पर धियान आबैत ओकरा लागै कि ओ आब बहुत कमजोर भ' गेलै ।कखनो-कखनो ओकरा ईहो लागै कि आब किछु नइ हेतए ,आब ऐ सब कागज के फेकि देबाक चाही ,मुदा फेर ओकरा धियान आबै कि यदि कुनो जरूरी भ' जाए त' के दिल्‍ली कलकत्‍ता जायत आ ओ फेरि सँ कुनो नबका जिल्‍द कें साटैत फाईल सबके सजा के राखए के उपक्रम कर' लागै.....;.........

ढ़नढ़नाएल


ओ ढ़नढ़नाएल जनाना रहै ,कखन कोन बात करी आ कखन नइ तकर कोनो विचारे नइ ।कखनो अप्‍प्‍न नैहरक खूब प्रशंसा करै ,बाप-भाए ,टोल-टापरि ,गाछी-बिरछी ,खेत-पथार सभक प्रशंसा आ कखनो खिधांश करै त' बाप-माए , देवता-पितर केकरो नइ छोड़ै ।खिस्‍सा शुरू करै त' खेती-पथारी ,दौरा-दौरी सँ ल' के सूतनए-बैसनए तक के विधिपूर्वक चर्चा करै ।आ खिस्‍सा मे अपनहि तक नइ आहूं के अवस्‍से आनती आ आहीं नइ अहां क' बाप-पित्‍ती ,पितामह-परपितामह तक कें सानति कोनो एहन प्रसंग शुरू करती जेकर पता ने अहां के ,ने अहां के पितामह के आ बात एहनेसन कि ओकर परीक्षण केनए सेहो बूरबकए ।जेना कि ए‍क दिन ओ कहि देलखिन जे हमर घरवला पहिले अहां क हर चलबैत छला आ अहां दूनू बहिन एकदिन पनपियाइत ल' के गेल रही ,हमर घरवला ऐ बातक प्रतीक्षा करैत रहला कि अहां दूनू कखन जाएब आ हम पनपियाइ करब ,मुदा आहूं दूनू बहिन एक बेरियां तक आरि पर बैसल रहलौं आ हमर घरवला भूखे तबाह रहला ।
ई बात सुनिते अहां दूनू बहिन परेशान होइत पुरनका बात सब यादि केनए शुरू करबै कि ई बात कहिया भेलै आ ओ लागले दोसर कथा पर आबि जेती ।तहिना ओ एक दिन कहि देलखिन कि हमरा सब राति हमर घरवला लताम दैत छथिन आ ई बात सुनिते टोलक जनाना सब परेशान भ' गेली कि फलनमा बौह राति के लताम की करैत छथिन ।एक दिन ओ जनाना कहलकै कि हमर ससुर आ सासु एकठाम सूतल रहथि आ हम खखास नइ क' सकलियई आ एकाएक घर घूसि गेलियइ ,जनाना सब मारलिखन जोर सँ पिहकारी ,दलान पर ताश खेलाइत पुरूख-पात्र सब चौंक गेलखिन।एहने कथा सब सुनबाक अभ्‍यस्‍त जनाना सब हुनके घेरने रहती आ हुनकर पेटार सँ एहने सन कथा सब निकलैत रहत ।एक दिन भेलै एना कि.............